करीब 100 एकड़ जमीन पर चीन बनाएगा अस्पताल,

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख, नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस, हाल ही में भारत के साथ संबंधों में बदलाव लाते हुए चीन, पाकिस्तान और तुर्की के साथ सक्रिय रूप से संबंध स्थापित कर रहे हैं। ये कूटनीतिक कदम भारत के लिए चिंता का विषय बन सकते हैं।

चीन के साथ बढ़ती नज़दीकियाँ

मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश ने चीन के साथ कई महत्वपूर्ण समझौते किए हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • तीस्ता नदी परियोजना: बांग्लादेश ने चीन की सरकारी कंपनी PowerChina के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत तीस्ता नदी के प्रबंधन और पुनर्स्थापन पर अध्ययन किया जाएगा। यह परियोजना पहले भारत के साथ जुड़ी हुई थी, लेकिन अब चीन को प्राथमिकता दी जा रही है ।
  • आर्थिक सहयोग: चीन ने बांग्लादेश को 2028 तक शून्य-शुल्क निर्यात की अनुमति दी है और चीनी निवेश को बढ़ावा देने के लिए फ्री ट्रेड और निवेश समझौते पर चर्चा की है ।
  • जल प्रबंधन में सहयोग: यूनुस ने चीन से जल प्रबंधन में सहायता मांगी है, जिसमें 50 वर्षीय योजना की मांग भी शामिल है ।

15 वर्षों के अंतराल के बाद, बांग्लादेश और पाकिस्तान ने राजनयिक वार्ताएं फिर से शुरू की हैं। इन वार्ताओं में व्यापार, कृषि और वीज़ा प्रक्रियाओं में सहयोग पर चर्चा हुई है। हालांकि, बांग्लादेश ने 1971 के युद्ध के लिए पाकिस्तान से माफी और $4.52 बिलियन के मुआवज़े की मांग भी की है ।

भारत ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को शरण दी है, जो वर्तमान में भारत में रह रही हैं। इसके परिणामस्वरूप, भारत ने बांग्लादेश के साथ कुछ व्यापारिक और वीज़ा प्रक्रियाओं को निलंबित कर दिया है। यूनुस सरकार ने तीस्ता जल बंटवारे के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार सुलझाने की बात कही है, लेकिन चीन के साथ तीस्ता परियोजना में सहयोग भारत के लिए चिंता का विषय बन सकता है ।मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार का झुकाव चीन और पाकिस्तान की ओर बढ़ रहा है, जिससे भारत के साथ पारंपरिक रणनीतिक संबंधों में बदलाव आ रहा है। यह क्षेत्रीय भू-राजनीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन का संकेत है, जिसे भारत को ध्यान में रखना होगा

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