
भोपाल, 21 मार्च 2025 को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के 49वें स्थापना दिवस पर तीन दिवसीय भव्य समारोह का शुभारंभ हुआ । इस वर्ष समारोह का मुख्य विषय “आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सांस्कृतिक विविधता” रहा, जिसमें इन राज्यों की समृद्ध परंपराओं, लोककला, संगीत, नृत्य और पारंपरिक व्यंजनों को प्रदर्शित किया गया। इस कार्यक्रम मे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से लगभग 100 से अधिक कलाकार भाग ले रहे है।समारोह का शुभारंभ 21 मार्च को केरल के 1001 बतियों वाले दीपक अल-विल्लकु के पारंपरिक रीतिरिवाज के साथ प्रज्वलन के साथ हुआ जिसमे मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल प्रीत पाल सिंह (अतिविशिष्ट सेवा मेडल) जनरल ऑफिसर कमांडिंग, हेड क्वार्टर 21 कोर ने उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत की परंपराओं, कलाओं, प्रदर्षनी, संगीत, नृत्य, खानपान और स्थापत्य के माध्म से हम भारत की सांस्कृतिक समृद्वि को अधिक गहराई से समझ सकते हैं।

यह उत्सव हमें यह भी दर्षाता है कि सांस्कृतिक विविधता हमारी सबसे बडी षक्ति है और इसे संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने आगे कहा यह अवसर मुझे सैन्य और संस्कृति के गहरे संबंध को दर्षाने का अवसर प्रदान करता है। सेना न केवल राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा करती है वरन यह हमारी सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है हमारे सैनिकों ने सदैव भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने में अपना योगदान दिया है।
चाहे वह सीमा पर तैनाती हो या आंतरिक सुरक्षा, हमारे जवान सदैव तत्पर रहते हैं कि भारत की संस्कृति और परंपराऐं संरक्षित रहं। सेना और संग्रहालय दोनेां ही हमारे इतिहास और विरासत के सच्चे संरक्षक हैं। संग्रहालय जहां हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर रखता वहीं सेना उस धरोहर को जीवित रखने के लिए संघर्ष करती है। ये दोनों विभाग हमें हमारे अतीत से जोडते हैं और हमें उज्जवल भविष्य की ओर प्रेरित करते हैं। संग्रहालय ज्ञान और अनुसंधान का केंद्र होते हैं जहां से हम अपने गौरवषाली इतिहास ओर संस्कृति के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं, और हमारी सेना इस गौरवशाली परंपरा की रक्षा के लिए सदा तत्पर रहती है।कार्यक्रम के दौरान संग्रहालय परिसर पारंपरिक परिधानों में सजे कर्मचारियों और अतिथियों से सुसज्जित था, जो आंध्र, तेलंगाना और केरल की सांस्कृतिक झलक प्रस्तुत कर रहा था।