








यह एक गंभीर मुद्दा है, जो आदिवासी समुदायों के मानवाधिकारों और न्याय प्रणाली से जुड़ा हुआ है। यदि किसी निर्दोष व्यक्ति को फर्जी एनकाउंटर में मारा जा रहा है या उन्हें गलत तरीके से नक्सली और आतंकवादी घोषित किया जा रहा है, तो यह कानून और संविधान के खिलाफ है।
मुख्य बिंदु:
- आदिवासी अत्याचार – आदिवासी समुदायों को अक्सर भूमि अधिग्रहण, पुलिस दमन और सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
- फर्जी एनकाउंटर – अगर पुलिस या सुरक्षा बल गलत आरोप लगाकर निर्दोष आदिवासियों को मार रहे हैं, तो इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
- मानवाधिकार उल्लंघन – ऐसे मामलों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और अदालतों को संज्ञान लेकर न्याय दिलाना चाहिए।
- न्यायिक जांच – ऐसे मामलों की स्वतंत्र जांच एजेंसियों द्वारा समीक्षा होनी चाहिए, ताकि सच सामने आ सके।
- मीडिया और सामाजिक जागरूकता – इस मुद्दे को उजागर करने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं और मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है।